स्क्रीम का लालच देकर खुलवाते हैं खाता, फिर ठगो बेच रहे हैं
देश में तेजी से बढ़ते बैंकिंग फर्जीवाड़े ने बैंक खातों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दलाल मात्र 7-8 हजार रुपये में फर्जी तरीके से बैंक खाते बेच रहे हैं, जबकि 1 करोड़ की लिमिट वाले खातों की कीमत 6 लाख रुपये तक पहुंच गई है। दलाल बीसी प्वाइंट, ग्राहक सेवा केंद्र और बैंक कर्मचारियों से मिलीभगत कर फर्जी कागजों के आधार पर खाते खुलवाते हैं और स्कीम या नकद पैसे का लालच देकर गरीब या जरूरतमंद लोगों से यह कार्य करवाते हैं।
पूरे नेटवर्क की कार्यप्रणाली
सबसे पहले दलाल गरीब, बेरोजगार या ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को खोजते हैं जिन्हें पैसों की जरूरत होती है। उन्हें 1500 से 2000 रुपये देकर, आधार व बॉयोमेट्रिक डाटा लेकर उनके नाम पर खाता खुलवाया जाता है। इसके बाद इस खाते को जरूरतमंद या अपराधियों को बेच दिया जाता है, जहां इनका इस्तेमाल साइबर क्राइम, मनी लॉन्ड्रिंग या हवाला जैसे गैरकानूनी कार्यों में होता है।
खाता कीमत और लिमिट का काला बाजार
खाता लिमिट के अनुसार अलग-अलग दाम तय किए जाते हैं, जैसे बेसिक सेविंग्स खाता 7-8 हजार में, 15 लाख लिमिट वाला 12-15 हजार में और 1 करोड़ लिमिट का खाता 6 लाख रुपये में बेचा जाता है। खरीददार आमतौर पर ऐसे लोग होते हैं जो ऑनलाइन जालसाजी, फेक वेबसाइट से पैसा ट्रांसफर या हवाला में इन खातों का दुरुपयोग करते हैं।
बैंकिंग सिस्टम की खामियां
यह पूरा गिरोह बैंकिंग सिस्टम की कमजोरी का फायदा उठा रहा है। बीसी प्वाइंट पर खाता खोलने में ड्यूल वेरिफिकेशन की कमी, आधार व बॉयोमीट्रिक की सतही जांच तथा कर्मचारियों की लापरवाही बड़े फर्जीवाड़े को जन्म दे रही है। बहुत बार तो खाता धारक को खुद भी भनक नहीं रहती कि उनके नाम का खाता किस काम में इस्तेमाल हो रहा है।
कानूनी और सामाजिक खतरे
यह फर्जीवाड़ा न सिर्फ बैंकिंग बल्कि सामाजिक और कानूनी सुरक्षा के लिए भी खतरा है। अगर गरीब के नाम पर खाता खुलकर किसी गैरकानूनी कार्य में इस्तेमाल हुआ, तो उस व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। कानून के नजर में IT Act, PMLA और बैंकिंग नियमों के तहत दोषियों को 7 साल तक की सजा और भारी जुर्माना हो सकता है।
समाधान और सुझाव
समस्या के समाधान के लिए बैंकिंग सिस्टम में सुधार और कड़े नियमों की आवश्यकता है। केवाईसी को पूरी तरह डिजिटल और मल्टी लेयर वेरिफिकेशन के साथ लागू करना होगा। बीसी प्वाइंट पर हर महीने ऑडिट, कर्मचारियों की ट्रेनिंग और जागरूकता अभियान अनिवार्य करने होंगे। साथ ही, आम जनता को भी जागरूक रहना होगा कि कोई लालच देकर उनके नाम-आधार पर खाता खुलवाए तो सतर्क रहें।
निष्कर्ष
इस घोटाले ने बैंकिंग सिस्टम की बुनियादी कमजोरियों की पोल खोल दी है। अगर समय रहते सरकार, बैंकिंग संस्थाएं और आम समाज कदम नहीं उठाते तो आर्थिक अपराध और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में भारी इजाफा हो सकता है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढांचा दोनों पर गंभीर असर पड़ेगा।देश में बैंकिंग सिस्टम की सुरक्षा एक बड़े संकट से गुजर रही है, क्योंकि हाल ही में सामने आए एक बड़े घोटाले ने करोड़ों लोगों की वित्तीय सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दलाल अब मात्र 7-7 हजार रुपये में फर्जी बैंक खाते बेच रहे हैं, और एक करोड़ रुपये की लिमिट वाले खातों की कीमत 6 लाख रुपये तक है। यह घोटाला बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट (बीसी प्वाइंट), ग्राहक सेवा केंद्र, और कुछ बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से संभव हो रहा है, जिसमें फर्जीवाड़ा करने वाले लोग गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को नकद पैसे या स्कीम का लालच देकर उनके नाम पर खाते खुलवाते हैं।
खाता खुलवाने के बाद दलाल इन खातों को ऑनलाइन या नेटवर्किंग के जरिए बेच देते हैं, जहां इनका इस्तेमाल साइबर क्राइम, मनी लॉन्ड्रिंग, हवाला और फेक लेनदेन के लिए होता है। रिपोर्ट के अनुसार, खाते की कीमत उसकी लिमिट के हिसाब से तय होती है; उदाहरण के लिए, बेसिक सेविंग्स खाता 7-8 हजार, 15 लाख लिमिट वाला 12-15 हजार और एक करोड़ लिमिट वाला खाता 6 लाख रुपये तक में बिकता है। दलाल आम तौर पर ग्रामीण या कम पढ़े-लिखे लोगों को अपना शिकार बनाते हैं और उनके फिंगरप्रिंट, आधार कार्ड, मोबाइल नंबर आदि लेकर बैंक में खाता खुलवाते हैं। खाता धारक को कभी-कभी यह तक नहीं पता चलता कि उसके नाम से खुला खाता किस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल हो रहा है।
घोटाले का सबसे अहम पहलू यह है कि बैंकिंग सिस्टम में बायोमेट्रिक या आधार आधारित वेरिफिकेशन प्रणाली के बावजूद, दोहरे वेरिफिकेशन न होने से फर्जी खाते खुल जाते हैं। बीसी प्वाइंट स्टाफ की लापरवाही और दस्तावेजों की सतही जांच इस पूरे प्रक्रिया को आसान बना रही है। कई बार तो दलाल फिंगरप्रिंट डिवाइस का दुरुपयोग करके खाताधारक की जानकारी के बिना ही उनके नाम पर खाते खोल देते हैं।
इस घोटाले के उजागर होने के बाद वित्तीय विशेषज्ञों का सुझाव है कि बीसी प्वाइंट की नियमित ऑडिटिंग, मल्टी लेयर वेरिफिकेशन, और डिजिटल ट्रैकिंग आवश्यक है। साथ ही, कानून के अनुसार ऐसे फर्जीवाड़े IT Act, PMLA (मनी लॉन्ड्रिंग रोधी कानून) और बैंकिंग गाइडलाइंस के तहत दंडनीय अपराध हैं, और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। आम नागरिकों को भी जागरूक होना चाहिए कि कोई दलाल पैसे या स्कीम का लालच देकर उनके नाम पर खाता न खुलवाए। समय रहते इस बैंकिंग सिस्टम को सुरक्षित किया गया, तो ही देश की आर्थिक सुरक्षा को मजबूत किया जा सकता है
